यह गर्भावस्था के दौरान पैदा हो सकने वाला संभावित आत्याधिक खतरा है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वो गर्भावस्था होती है जिसने मां के खराब स्वास्थ्य या किसी अन्य कारण से गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां या बच्चे को कोई भी खतरा हो सकता है।भारत में हाई रिस्क प्रेगनेन्सी की दर 20 से 30 प्रतिशत है।
डा संध्या, सीनियर रेजिडेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बी एच यू ने जानकारी देते हुए बताया कि इंटरनेशनल जनरल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हैल्थ के रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 5 लाख से अधिक की मौत गर्भावस्था के दौरान होती है जिसका एक प्रमुख कारण हाई रिस्क प्रेगनेन्सी है।
गर्भवती महिला एवं उसके बच्चे को प्रभावित करने वाली यह कारण कई प्रकार के हो सकते हैं। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि गर्भवती महिला अपना एवं अपने बच्चे का विशेष ध्यान रखें।
गर्भावस्था के दौरान हाई रिस्क प्रेगनेन्सी के महत्वपूर्ण कारण है : मधुमेह, उच्च रक्त चाप, गुर्दे की बीमारी, मिर्गी की समस्या, यदि महिला जुड़वा बच्चे की मां बनने वाली हो, गर्भवती महिला का दो या उससे अधिक बार गर्भपात हुआ हो, यदि बच्चे में डाउन सिंड्रोम, हृदय, फेपडे या गुर्दे की समस्या हो, यदि गर्भवती महिला धूम्रपान या शराब आदि का सेवन कर रही हो, गर्भवती महिला की उम्र 17 साल से कम और 35 साल से ज्यादा हो, एच आई वी, हेपेटाइटिस सी, ऑटोइम्यून रोग, मोटापा, थॉयरॉयड रोग,
बाझपन - ऐसी स्थिति हन गर्भ धारण की संभावनाएं को बढ़ाने बाली दवा ली गई हो।
पालीसिसिटक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) - यह गर्भवती होने और गर्भवती रहने के लिए महिला की छमता को कम कर सकता है। यह गर्भावस्था के 20 सप्ताह पहले भ्रूण के सहज नुकसान, गर्भावधि में मधुमेह, प्रीइकलेमसिया और समय से पहले प्रसव को बड़ा सकता है।
प्रीइकलेमसिया और
इकलेमसिया - गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद गर्भवती महिला के रक्तचाप में अचानक वृद्धि के कारण होने वाला एक सिंड्रोम है। यह मां के गुर्दे, यकृत एवं मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। इसका इलाज ना होने पर मां तथा भ्रूण के लिए घातक हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हर महिला को भरपूर मात्रा में पानी पीने जरूरी होता है। जहां तक संभव हो जंक फूड से अपने आप को दूर रखें। गर्भवती महिला को हित या योग्य आहार विहार का सेवन करना चाहिए तथा मैथुन, क्रोध एवं शीत से बचना चाहिए।
यदि गर्भवती महिला स्वस्थ नहीं है तो तो कुछ खास तरह के टेस्ट डाक्टर की देखरेख में करवाते रहना चाहिए जिससे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना ना रहे और समय समय पर डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।