वीर्य मे़ं शुक्राणुहीनता

निल शुक्राणु को मेडिकल भाषा में एजुस्पर्मिया कहा जाता है। बांझपन के शिकार पुरुषों में लगभग पांच प्रतिशत लोग एजुस्पर्मिया यानि निल शुक्राणु से ग्रस्त होते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति के स्खलन के दौरान निकाले गए वीर्य में शुक्राणु पूरी तरह से अनुपस्थित होते हैं या इतनी कम मात्रा में उपस्थित होते हैं कि उनका पता ही ना लगाया जा सके। निल शुक्राणु के दौरान ऐसा कोई विशेष लक्षण विकसित नहीं होता है, जिससे स्थिति का पता चल सके। हालांकि अगर आप पिछले एक साल से लगातार अपने पार्टनर को गर्भवती करने की कोशिश कर रहे हैं और सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो ऐसे में हो सकता है कि आपको निल शुक्राणु की समस्या हो।


एजुस्पर्मिया का इलाज संभव है, जिसकी मदद से निल शुक्राणु से ग्रस्त व्यक्ति अपने पार्टनर को गर्भवती करने में सक्षम हो जाता है। एजुस्पर्मिया के लिए विभिन्न एडवांस ट्रीटमेंट उपलब्ध है, जो स्थिति के प्रकार के अनुसार उसका इलाज करते हैं।



निल शुक्राणु क्या है?


निल शुक्राणु या एजुस्पर्मिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति द्वारा स्खलन के दौरान निकाले गए वीर्य में कोई शुक्राणु उपस्थित नहीं होता है। वैसे तो निल शुक्राणु कोई सामान्य स्थिति नहीं है और इसके बहुत ही कम मामले देखे जाते हैं, लेकिन यह पुरुषों में बांझपन का एक गंभीर रूप हो सकता है।


 


निल शुक्राणु के प्रकार -


एजुस्पर्मिया के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:


ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया:
इस स्थिति में शुक्राणु तो सामान्य रूप से बनते रहते हैं, लेकिन दोनों वृषणों के प्रजनन पथ (या नलिकाएं) पूरी तरह से रुक जाते हैं। इसके कारण शुक्राणु आकर वीर्य में मिल नहीं पाते और परिणामस्वरूप पूरी तरह से अनुपस्थि हो जाते हैं। कुछ लोगों को दोनों तरफ के वृषणों में अलग-अलग समस्याएं भी हो सकती हैं।
 
नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया:
यह शुक्राणुओं की कमी जैसी ही एक स्थिति है। इस स्थिति में पुरुष इतने शुक्राणु नहीं बना पाता जिनकी वीर्य में पहचान की जा सके या फिर शुक्राणु बनना पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। पहले नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया का इलाज करना काफी कठिन होता था, लेकिन आजकल काफी एडवांस ट्रीटमेंट उपलब्ध हो गए हैं, जिनकी मदद से इस स्थिति का इलाज करना काफी हद तक संभव हो गया है। उचित तरीके से इलाज होने पर कुछ मामलों में पुरुष के शरीर में सामान्य रूप से शुक्राणु बनने लग जाते हैं।


निल शुक्राणु के क्या लक्षण होते हैं?


एजुस्पर्मिया का कोई विशेष लक्षण विकसित नहीं होता। पुरुष द्वारा अपने पार्टनर को गर्भवती ना कर पाना ही निल शुक्राणु का सबसे मुख्य लक्षण या संकेत माना जाता है।


कुछ अन्य संकेत व लक्षण हैं, जो निल शुक्राणु होने का संकेत दे सकते हैं:


स्खलन के दौरान वीर्य ना आना या बहुत ही कम मात्रा में आना
यौन संबंधों के बाद पेशाब का धुंधला रंग होना
पेशाब में दर्द होना
पेडू में दर्द
वृषणों में सूजन
वृषणों का छोटा आकार
गुप्तवृषणता
लिंग का आकार सामान्य से कम होना
प्यूबर्टी देर से या असामान्य रूप से आना
लिंग स्तंभन या स्खलन करने में कठिनाई
सेक्स ड्राइव में कमी
पुरुषों में स्तनों का आकार बढ़ना
मांसपेशियों में क्षति होना
यह भी संभव हो सकता है कि व्यक्ति को ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण ना हो और फिर भी वह निल शुक्राणु से ग्रस्त हो।


डॉक्टर को कब दिखाएं?


यदि एक साल तक नियमित रूप से असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद भी आप अपने पार्टनर को गर्भवती नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे में डॉक्टर के पास जाकर इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। साथ ही अगर आपको निम्न समस्याएं भी हैं, जो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए।


लिंग स्तंभन या स्खलन से संबंधित समस्याएं (जैसे स्तंभन दोष व स्खलन में देरी), सेक्स ड्राइव में कमी होना फिर यौन क्रियाओं से संबंधित कोई अन्य समस्या होना।
वृषण क्षेत्र में सूजन या गांठ बन जाना या फिर अन्य किसी कारण से दर्द व तकलीफ होना
पहले कभी वृषणों, प्रोस्टेट ग्रंथि या यौन संबंधी किसी प्रकार की समस्या होना
ग्रोइन, वृषण, अंडकोष की थैली या लिंग में या फिर उनके आस-पास सर्जरी करवाना



निल शुक्राणु क्यों होता है?


एजुस्पर्मिया कई अलग-अलग कारणों से विकसित हो सकता है, जो मुख्य रूप से उसके प्रकार पर निर्भर करता है। निल शुक्राणु के अलग-अलग प्रकार विकसित होने के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं।


ऑबस्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया:


यह स्थिति तब पैदा होती है जब पुरुष के शरीर में सामान्य रूप से शुक्राणु बनने के बावजूद भी वह स्खलन के दौरान बाहर नहीं आ पाता है। यह मुख्य रूप से किसी प्रकार की रुकावट के कारण हो सकता है, जो आमतौर पर निम्न जगह पर हो सकती है:


वृषण का वह हिस्सा जहां पर शुक्राणु परिपक्व होते हैं, इसे एपिडिडमिस (Epididymis) कहा जाता है।
वह नलिका जो स्खलन के दौरान शुक्राणुओं को वैस डेफरेंस तक पहुंचाती है, वैस डेफरेंस ट्यूब शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग तक पहुंचाने का काम करती है।
दोनों सिरों से अन्य किसी ट्यूब में खुलने वाली नलिका, जिसे इजेक्युलेटरी डक्ट्स भी कहा जाता है।
यह ब्लॉकेज किसी प्रकार की चोट लगने, संक्रमण होने, किसी प्रकार की आनुवंशिक असामान्यता या फिर पहले की गई सर्जरी के कारण भी हो सकता है।


नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया:


यह ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष के शरीर में शुक्राणु बिलकुल ही नहीं बन पाते हैं या फिर इतनी कम मात्रा में बनते हैं जो वृषणों से बाहर तक ही नहीं निकल पाते हैं। नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से हार्मोन संबंधी समस्याएं, पहले कभी हुआ संक्रमण, गुप्तवृषणता, वृषण मरोड़ या किसी प्रकार की चोट लगना, वृषण में आनुवंशिक या जन्मजात असामान्यता होना या वैरीकोसील (अंडकोष की थैली की एक नस का आकार बढ़ना) आदि शामिल हैं।



निल शुक्राणु की रोकथाम कैसे करें?


अभी तक ऐसा कोई तरीका नहीं मिल पाया है, जिसकी मदद से एजुस्पर्मिया को विकसित करने वाले कारणों की रोकथाम की जा सके।


 हालांकि कुछ तरीके हैं जो निल शुक्राणु विकसित होने की स्थिति से कुछ हद तक बचाव कर सकते हैं, इनमें निम्न शामिल हैं:


ऐसी कोई भी गतिविधि ना करना, जिस से प्रजनन अंगों को चोट लगे या किसी प्रकार की क्षति होने की संभावना बढ़ जाए।
रेडिएशन के संपर्क में आने से बचें
किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले उसके फायदे व साइड इफेक्ट्स के बारे में जान लें, क्योंकि कुछ दवाएं शुक्राणु बनने की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर देती है।
वृषणों को अधिक गर्मी के संपर्क में न आने दें और लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी में ना रहें।


निल शुक्राणु का परीक्षण कैसे किया जाता है?


डॉक्टर सबसे पहले आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी लेंगे और आप इस दौरान कौन सी दवाएं ले रहे हैं आदि के बारे में पूछेंगे। इतना ही नहीं यदि आपको पहले कोई रोग हुआ है, आपने कोई सर्जरी करवाई है या परिवार में किसी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, तो इन सब के बारे में भी डॉक्टर परीक्षण के दौरान आपसे पूछ सकते हैं। उसके बाद आपसे वीर्य का सेंपल देने के लिए कहा जाएगा। सेंपल लेने के बाद इसे परीक्षण करने के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। लेबोरेटरी में माइक्रोस्कोप के द्वारा वीर्य के सैंपल की जांच की जाती है। यदि अलग समय पर अलग-अलग सैंपल पर किए गए परीक्षण में भी शुक्राणु नहीं मिल पाते हैं, तो समझ लें कि आप निल शुक्राणु से ग्रस्त हैं।


एजुस्पर्मिया का पता लगने के बाद फिर डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं, कि किस कारण से यह समस्या हुई है। इसके लिए डॉक्टर आपके जननांगों का शारीरिक परीक्षण करते हैं और आपके खून का सैंपल लेते हैं। ब्लड टेस्ट की मदद से आपके टेस्टोस्टेरोन, फोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) और एस्ट्राडियोल के स्तर की जांच की जाती है।


 


निल शुक्राणु का इलाज कैसे किया जाता है?


कुछ प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं, जो एजुस्पर्मिया से ग्रस्त उन लोगों की मदद कर सकते हैं, जो बच्चे पैदा करना चाहते हैं।


यदि किसी व्यक्ति को ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया है, तो सर्जरी की मदद से ब्लॉकेज को ठीक करके इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है।


ब्लॉकेज होने के बाद जितनी जल्दी सर्जरी शुरु की जाएगी, उतनी सर्जरी के सफल होने की संभावना बढ़ जाएगी।


नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के मामलों में स्पर्म रिट्रीवल थेरेपी से मदद मिल सकती है। इस थेरेपी के दौरान एक सुई की मदद से वृषण में से सैंपल की तरह शुक्राणुओं को निकाल लिया जाता है और उसे फ्रिज में रख दिया जाता है। बाद में इन शुक्राणुओं का इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।


यदि आपके वृषणों की बायोप्सी हुई है, जिसमें वृषण के ऊतकों का सैंपल लिया जाता है। इस सर्जरी के दौरान ही डॉक्टर शुक्राणु का सेंपल ले लेते हैं और आपको कोई दूसरी सर्जरी करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।


जीवनशैली में बदलाव


कुछ सावधानियां भी हैं जिनकी मदद से घर पर ही कुछ बातों का ध्यान रख कर आपकी पार्टनर के गर्भवती होने की संभावना बढ़ सकती है।


 इनमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:


अधिक बार यौन संबंध बनाना:
ओव्यूलेशन से पहले चार दिन तक रोजाना एक बार या एक दिन बीच में छोड़कर अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाना। ऐसा करने से आपके पार्टनर के गर्भवती होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
 
जब निषेचन संभव हो तब यौन संबंध बनाएं:
ओव्यूलेशन के दौरान किसी महिला के गर्भवती होने की संभावना अधिक होती है। यह आमतौर पर मासिक धर्म के बीच की अवधि में होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ शुक्राणु थोड़े दिन तक जीवित रह लेते हैं और उस समय तक मौजूद होते हैं जब गर्भधारण प्रक्रिया संभव हो।
 
लूब्रिकेंट्स से परहेज करें:
कुछ प्रोडक्ट जैसे एस्ट्रोग्लाइड या के-वाई जेली, लोशन और लार आदि शुक्राणुओं के हिलने-ढुलने की गति और उनकी कार्य क्षमता को प्रभावित कर देते हैं। इसके अलावा अगर फिर भी आप लूब्रिकेंट्स का उपयोग करना चाहते हैं, तो डॉक्टर की मदद से अपने लिए एक ऐसे लूब्रिकेंट का इस्तेमाल करें जो स्पर्म के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हों।



निल शुक्राणु से क्या जटिलताएं होती हैं?


एजुस्पर्मिया के कुछ प्रकारों का इलाज करना पूरी तरह से संभव है। यदि वृषण संबंधी किसी समस्या के कारण निल शुक्राणु हुआ है, तो उसका इलाज संभव नहीं है। हालांकि इस स्थिति को कुछ हद तक मैनेज किया जा सकता है, जिसके लिए पहले टेस्टिकुलर बायोप्सी और फिर उसके बाद इन विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।